बचपन का प्यार: दोस्ती से शादी तक का सफ़र | लव स्टोरी हिंदी
आरव और अन्वी कॉलेज में 7 साल बाद एक दूसरे को देखते हैं। दोनों एक दूसरे को देखकर भी अनदेखा कर देते हैं। ये दोनों बचपन के बेस्ट फ्रेंड है, जो हर छोटी बड़ी चीजें आपस में शेयर करते थे। दोनों अपनी मस्ती में ही लगे रहते, लेकिन आज ऐसा क्या हुआ की दोनों एक दूसरे को देखकर बात नहीं कर रहे इनकी दोस्ती पर समय की धूल जम गई थी, जो आज हैलो हाय करने से भी कतरा रहे थे। दोनों एक दूसरे को पहचान भी लेते हैं फिर भी अनजान बने रहते हैं। दोनों को अपने बचपन के दिन याद आते हैं। कैसे वे मिलकर शरारत करते थे, फिर भी दोनों एक दूसरे से बात करने की हिम्मत नहीं कर पाते है। दोनों एक दूसरे को हल्की सी मुस्कान के साथ देखकर निकाल जाते हैं। जैसे दोनों एक दूसरे से बात करना चाहते हैं मगर किसी कारण रुके हुए हैं। कुछ दिन बाद अन्वी कोलेज से घर जा रही थी। रास्ते में उसकी स्कूटी खराब हो जाती है। उधर से आरव भी अपने घर जा रहा होता है। वे अन्वी को ऐसे रास्ते में अकेले और परेशान देखता है और उसके पास चला जाता है। आरव कहता है क्या हुआ, अन्वी तुम परेशान दिख रही हो क्या मैं तुम्हारी मदद कर सकता हूँ? अन्वी कहती हैं, हाँ मेरी स्कूटी खराब हो गई है। मैंने मेकेनिक को फ़ोन किया था, वो अभी नहीं आ सकता और मुझे कोई ऑटो भी नहीं मिल रहा है। आरव कहता है मैं देखता हूँ शायद ठीक हो जाये आरव स्कूटी ठीक करने लगता है।और अन्वी से बातें करता है, अन्वी जब तुमने मुझे पहचान लिया था फिर भी तुम कुछ नहीं बोली। अन्वी:- तुम भी तो कुछ नहीं बोले तुम भी तो हैलो हाय बोल सकते थे। आरव:- मैं तो इस लिए नहीं बोला अगर तुमने मुझे नहीं पहचाना तो तुम समझती मैं जानबूझकर तुमसे बात करना चाहता हूँ, तुम्हें बुरा लगता है तो तुम तो मुझे थप्पड़ मार देती, पहले दिन ही मेरी इज्जत की ऐसी तैसी हो जाती तुम बचपन में भी ऐसे ही करती थी?अगर तुम्हारा मन किसी से बात करने का नहीं होता था तो तुम उसे ढंग से हैलो भी नहीं करती थी। अन्वी:- तुम कौन से कम थे मेरा मूड कैसा भी हो तुम हमेशा मुझे खेलने के लिए मना ही लेते थे. दोनों अपने बचपन की बहुत सी बातें करने लगे। कुछ देर में दोनों में वो बचपन वाली दोस्ती लौट आती है। आरव:- अन्वी तुम्हारी स्कूटी ठीक हो गई है। एक बार मैकेनिक से जरूर दिखा लेना। अन्वी:- ठीक है, एंड थैंक यू। आरव:- तो ये सब तुम्हारा थैंक यू सुनने के लिए नहीं किया। हम बचपन के बेस्ट फ्रेंड थे।अपनी दोस्ती के लिए किया। अन्वी:-क्या हम बचपन में ही बेस्ट फ्रेंड थे? अब नहीं? आरव:- शायद अब भी वो बचपन की दोस्ती लौट आएगी। अन्वी:- तुम ठीक कह रहे हो. दोनों एक दूसरे से हाथ मिलाते हैं,बाय करके अपने अपने रास्ते चले जाते हैं। दोनों को अपनी बचपन की दोस्ती के दिन याद आने लगते है। कैसे सारा दिन मौज मस्ती करते खेलते रहते थे? अगले दिन दोनों कॉलेज में मिलते हैं, लेकिन अबकी बार दोनों बचपन के दोस्त की तरह मिलते हैं।अन्वी के फ्रेंड कहते हैं, क्या तुम इसे जानती हो. अन्वी:-हाँ, हम बचपन के फ्रेंड है एक साथ पढ़ते खेलते थे। दोनों के बीच में वही बचपन वाली छेड़छाड़ शुरू हो जाती है। अन्वी के फ्रेंड कहते है हैलो गाइस तुम अब बड़े हो गए हो और यह कॉलेज है कहीं कोई तुम्हारी दोस्ती को गलत न समझ लें।लेकिन दोनों अपनी दोस्ती में काफी कंफर्टेबल थे। उन दोनों कुछ भी अजीब नहीं लग रहा था। दोनों एक दूसरे के बारे में हर अच्छी बुरी चीज़ जानते हैं और एक दूसरे का स्वभाव और आदत भी। कई बार दोनों में किसी बात को लेकर बहस भी हो जाती थी, लेकिन दोनों के बीच की नाराजगी जल्द सॉर्ट आउट हो जाती।दोनों अपने काम में इन्टेलिजन्ट होते हैं। कोई एक दूसरे से कम नहीं होता और इसी ईगो से दोनों में अनबन होती रहती है। लेकिन दोनों एक दूसरे के बिना ज्यादा देर तक नहीं रह पाते। नोकझोंक और एक दूसरे के साथ से उनकी पढ़ाई भी पूरी हो जाती है। अन्वी के पापा की एक गेमिंग कंपनी होती है अन्वी और आरव इंटर्नशिप के लिए अन्वी के पापा।राहुल गुप्ता की कंपनी जॉइन कर लेते हैं। अन्वी अपने आइडिया से अपने पापा को प्रभावित करती है। दूसरी तरफ आरव भी अपने गेमिंग डिजायर से अनवी के पापा को इंप्रेस कर देता है। दोनों अपने काम में एक्स्पर्ट होते हैं। दोनों किसी से कम नहीं होते है। ना ईगो में, ना ही काम में 1 दिन मिस्टर गुप्ता अन्वी आरव को समझते हैं, देखो तुम दोनों अपने काम में एक्स्पर्ट हो। अगर तुम दोनों मिलकर काम करोगे तो यह तुम्हारे लिए भी अच्छा है और कंपनी के लिए भी।तुम्हारा जो भी इश्यू है उसे तुम अपने तक ही रखो अपने काम के बीच में मत लाओ अगर तुम्हारे आपसी इश्यू के कारण कंपनी को नुकसान हुआ तो मुझे तुम दोनों को कंपनी से बाहर करना होगा। उनका अन्वी को ऐसे सब के सामने डांटना अन्वी को अच्छा नहीं लगा। आखिर वे बॉस के साथ साथ उसके पापा भी है। मिस्टर गुप्ता:-केबिन में अन्वी और आरव को बुलाते हैं और उन्हें एक प्रोजेक्ट पर साथ काम करने के लिए देते हैं और वे कहते हैं, किसी भी कारण से प्रोजेक्ट खराब नहीं होना चाहिए। अन्वी और आरव वे प्रोजेक्ट एक्सेप्ट कर लेते हैं। अब दोनों अपनी जी जान लगाकर मेहनत करते हैं और उनका काम समय से पहले और अच्छा हो जाता है। उनका ये।गेम हर कोई पसंद करता है। जल्द बहुत फेमस गेम बन जाता है। मिस्टर गुप्ता गेम सक्सेस की पार्टी करते है। सभी बड़ी बड़ी गेमिंग कंपनी ओनर आते हैं। सब एक दूसरे से मिलते हैं, अपने अंदाज से इंजॉय करने लगते हैं। मिस्टर गुप्ता आरव और अन्वी को कहते हैं तुम लोग बेस्ट टीम हो अपने पर्सनल इश्यू के कारण अपनी टीम को खराब मत करना। वैसे भी तुम तो बचपन के दोस्त हो, तुम्हें एक दूसरे के बारे में सब पता है, फिर भी क्या एक दूसरे में कमी निकालते हैं और लड़ते हो और तुम ज्यादा देर तक एक दूसरे से नाराज भी नहीं रह पाते हो, तुम अपने ईगो को कम करो, तुम्हारे बीच ईगो ही है जो तुम्हें।एक दूसरे के खिलाफ़ करता है। वैसे तुमने दोनों ने बहुत अच्छा काम किया है। वेल डन। ये बोलकर मिस्टर गुप्ता वहाँ से चले जाते हैं। धीरे धीरे लोग पार्टी से जाने लगते हैं। अन्वी और आरव बात करते है, आरव कहता है, अच्छा हुआ ना? मैंने आखिरी समय पर प्रेजेंटेशन चेंज कर दी।तुम्हारी बनी हुई प्रेजेंटेशन से मेरी अच्छी थी। अन्वी को लगा जैसे आरव उसका मजाक बना रहा है। अन्वी वहाँ से उठकर चली जाती है और ड्रिंक करने लगती है।आरव भी अपने ऑफिस के लोगों से बात करने लगता है क्योंकि वे लोग जाने लग रहे थे उन सबके जाने के बाद आरव रह जाते हैं होटल के लोग वहाँ पर साफ सफाई के लिए आ जाते है वही बैठी थी आरव की तरफ देखता है और सोचता है ये इतनी देर तक एक जगह और चुपचाप बैठने वाली तो नहीं है। आरव, अन्वी के पास जाता है। आरव कहता है अभी क्या हुआ तुम कुछ बात नहीं कर रही, सब ठीक है। अन्वी पलटकर आरव की तरफ़ देखती है, आरव भी अन्वी को ऐसे देखकर परेशान हो जाता है। उसकी आँखें लाल और सूजी हुई होती है। शायद वो अकेले बैठकर रो रही थी। अन्वी कहती हैं अब क्या करने आये हो मेरे पास? मुझे तो कुछ काम करना ही नहीं आता, तुम तो पर्फेक्ट हो तुम जाओ यहाँ से मुझेतुमसे कोई बात नहीं करनी, लेकिन अरब वही खड़ा रहता है। अन्वी कहती है ठीक है, अगर तुम यहाँ से नहीं जा रहे हैं तो मैं ही यहाँ से चली जाती हूँ। अन्वी वहाँ से जाने के लिए खड़ी होती है, जैसे ही वो जाने लगती है, नशे के कारण लड़खड़ाने।लगती है। वो गिरने वाली ही थी। आरव तुरंत उसे संभाल लेता है। अन्वी की हालत ऐसी नहीं थी कि वो घर जा सके। इसलिए आर अब उसी होटल में एक कमरे में अन्वी को ले जाता है। कंपनी पहले से ही कुछ रूम बुक करके रखती है।आरव अन्वी को कमरे में छोड़कर जाने लगता है, अन्वी उसका हाथ पकड़कर खड़ी होती है। आरव मुझे अकेला छोड़कर मत जाओ। वो आदि बेहोशी हालत में आरव के चेहरे पर अपने मुँह टिका लेती है। को भी अन्वी के ऐसे टच से कुछ।अलग सा महसूस होता है जो आज तक कभी नहीं हुआ। अन्वी को वो बेड पर लेटा देता। हैं। अभी अभी आरव का हाथ पकड़े हुए थी। दोनों एक साथ बैठकर लेट जाते हैं। उनके बीच में बातें कम एक दूसरे को टच करना ज्यादा होता है। दोनों नशे में तो थे ही, दोनों का एक दूसरे को इस तरह से चुना एक दूसरे को कब इतने करीब ले आया कि वो दोनों अपनी सभी बाउंड्री क्रॉस कर जाते हैं। दोनों एक दूसरे में समा जाते हैं। जब सुबह अन्वी उठती है तो उसे कुछ याद नहीं होता है, लेकिन वह अपनी और बिस्तर की हालत देखकर समझ जाती है। रात को उन दोनों के बीच कुछ हुआ था अन्वी जल्दी से उठ कर तैयार होने लगती है और मन मन से बड़बड़ाती है। ये सब नहीं होना चाहिए था। आरव भी उठ जाता है। वो अन्वी को गुड मॉर्निंग बोलता है। अन्वी कहती हैं, मेरी तो जिंदगी उथल पुथल हो गयी है और इसकी मॉर्निंग गुड हो रही है। आरव अन्वी को परेशान देखकर तुरंत बिस्तर उठाता है और उसे प्यार से दोनों हाथों से पकड़कर बेड पर बिठाता है और कहता है, अन्वी तुम इतनी परेशान क्यों हो रही हो? हम दोनों के बीच में जो भी हुआ है, हम दोनों की मर्जी से हुआ है। हम अडल्ट है यार कल रात सिचुएशन ही ऐसे हो गई थी कि हम दोनों अपने आप को रोक ही नहीं पाये। इस सिचुएशनशिप अन्वी की परेशानी कम होने का नाम ही नहीं ले रही थी। वो आरव के दोनों हाथों की झटका के हटाते हैं और वहाँ से नाराज होकर चली जाती है। अन्वी उस रात को जो हुआ उसे याद करने की कोशिश करती है पर उसे कुछ याद नहीं आ रहा था लेकिन आरव को अन्वी के साथ बिताया वो हर पल एक मीठी याद बन गया था जिसे वो कभी भूल नहीं सकता। अन्वी भी अपने और आरव के बारे में सोचते हैं। वो उसने पसंद तो पहले ही करती थी। बस आरव और अन्वी की ईगो कभी उस रिश्ते को उभरने नहीं दिया। वैसे भी अन्वी ऐसा कुछ नहीं करना चाहती थी। प्यार और सिचुएशन से मिलने में फर्क होता है। प्यार हमेशा रहता है और सिचुएशन बदलती रहती है। कई बार आरव यह अन्वी से बात करने के लिए फ़ोन करता है लेकिन वो उससे बात नहीं करती।और ना ही ऑफिस में उससे मिलती है। वो अपने दूसरे ऑफिस से काम करना शुरू कर देती है की सारी कोशिशों बेकार हो जाती है, अन्वी से बात करने की, उन्हें अब एक महीना हो गया था। एक दूसरे को देखें और बात करें।ऐसा पहली बार हुआ था जब दोनों ने इतने लंबे समय तक एक दूसरे से बात नहीं की। अन्वी के पापा मिस्टर गुप्ता अन्वी तुम दोनों में अगर कोई बात हुई है तो उसे मिलकर दूर करो। ऐसे एक दूसरे से नाराज रहोगे तो तुम्हारे बचपन की दोस्ती में भी दूरी आ जाएगी उसे मिलकर दूर करो।जो भी है, उसे मिलकर शोर्ट आउट करो, इसका तुम्हारे काम पर भी इफ़ेक्ट पड़ रहा है।अन्वी कहती है, पापा मैं जल्द ही सबकुछ शोर्ट आउट करने की कोशिश करती हूँ। मुझे अभी ऑफिस के लिए दे हो रही है। हम इसके बारे में बाद में बात करते हैं अन्वी वहाँ से चली जाती है। एक बार् अन्वी अपने घर लौट रही थी। रास्ते में उसकी गाड़ी खराब हो जाती है। पास में ही उसकी फ्रेंड नताशा का घर होता है वो मेकनिक को गाड़ी देकर नताशा के घर आ जाती है वो घर की घंटी बजाती हैं। नताशा कुछ देर बाद गेट खोलती है। नताशा कहती है, अरे अन्वी तुम इस समय यहाँ सब ठीक तो है। कहती है हाँ मैं बिल्कुल ठीक हूँ वो मेरी गाडी खराब हो गई थी और बारिश आ रही थी। मैंने सोचा यहाँ भीगने से अच्छा है, तुम्हारे पास आ जाओ। नताशा कहती है ये तुमने अच्छा सोचा।तुम अपने कपड़े बदल लो, तब तक मैं तुम्हारे लिए कॉफी बना देती हूँ, एक कप मेरे लिए भी बनाना नताशा के बेडरूम से आवाज आती है अन्वी कहती है यार अंदर कौन है तुम्हारा बॉयफ्रेंड यार बेडरूम है तो तुम उससे प्यार ही करती होगी।किसी को यू ही तो तुम अपने बेडरूम में ले कर नहीं जाओगी। नताशा कहती है, नहीं गयी।बाथरूम में। यार मैं इससे कोई प्यार व्यार नहीं करती बस मेरा फ्रेंड है और कुछ नहीं। अन्वी कहती है फिर ये तुम्हारे बेडरूम में क्या कर रहा था? नताशा कहती हैं, यार तू क्या बच्चों जैसी बातें कर रही हो? कई बार सिचुएशन ऐसी हो जाती है जब हम एक दूसरे के इतने नजदीक होते हैं, खुद पर कंट्रोल नहीं कर पाते।तो ये सब हो जाता है और ये सब दोनों की मर्जी से होता है। अब हम अडल्ट है यार ये सब चीजें होती रहती है प्यार अलग इमोशन होता है और सिचुएशनशिप में इमोशन बेकाबू होता है और हम उस सिचुएशन में बह जाते हैं।वहाँ से एक लड़का बाहर आता है अन्वी उसे देखकर नताशा से कहती है तुम्हें कोई और नहीं मिला ये कितना बदनाम और बदतमी? नताशा कहती हैं, यार मैं जानती हूँ पर इमोशन पे उस पल कहा कंट्रोल होता है। अन्वी कहती है भाड़ में जाए ऐसे इमोशन जिससे कुछ अच्छा बुरा का फर्क ना हो लाइफ में एक गलती की सजा पूरी जिंदगी भुगतनी पड़ती है, अन्वी को तुरंत आरव ख्याल आता है वो टैक्सी बुलाती है वहाँ से जाने लगती है।नताशा कहती हैं, अन्वी क्या हुआ, अपने कपड़े तो बदल लेती है, बारिश बंद होने के बाद चली जाती है, अन्वी कहती है नहीं मुझे यहाँ पर नहीं रुकना मैं जा रही हूँ बस । अन्वी आरव से मिलने के लिए निकल जाती है। आज उसे अपने और आरव के बीच में जो कुछ हुआ उसका अहसास होने लगा। आज उसके मन परेशानी या शर्मिंदगी नहीं बल्कि खुशी थी। मन में एक मीठे प्यार का अहसास था। वो सोचती है मैं आरव के गले लग जाउंगी, उसे अपने प्यार का इजहार करूँगी और अपने बिहेवइयर के लिए सॉरी बोल दूंगी। उस रात बारिश जैसे रुकने का नाम नहीं ले रही थी आपने सपने और खुशी से भरी हुई थीवो गाड़ी से उतरती है।और आरव घर की घंटी बजाती है। आरव गेट खोलता है आर वन बी को ऐसे अपने सामने देखकर एक महीने के बाद देखता है। इसकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं होता। अन्वी की आँखों से खुशी चमक रही होती हैं।आरव कहता है, अन्वी तुम तो पूरी तरह भीग गयी हो। अन्वी हाँ, बारिश इतनी तेज हो रही है। अन्वी आरव के गले लगाने के लिए आगे बढ़ती है तो उसकी नजर रूम में बैठी नेहा पर पड़ती है जो आरव कि।असिस्टेंट है, जिसके बाल गीले थे और उसने आरव की शर्ट पहनी हुई थी। नेहा को ऐसी हालत में देखकर अन्वी वहीं जम सी जाती है। ना तो वो आगे जाती है और ना ही पीछे उसके सारे सपने प्यार का एहसास आंसू बनाकर बारिश के पानी के साथ बह रहा था।वो ये सब देखकर अंदर से खाली सी हो जाती है।जैसे अंदर से उसके इमोशन खत्म हो रहे हो, वो तुरंत वहाँ से निकलती है। वो पैदल ही अपने घर पहुँच जाती है, वो पांच किलोमीटर पैदल चलती है। उसे बिल्कुल एहसास नहीं होता है वो क्या कर रही है? उसे लगा जैसे आरव ने उसे धोखा दिया है। अगले दिन आरव अन्वी के घर आ जाते हैं। अन्वी अपने कमरे में होती हैं आरव वहीं पहुँच जाता है।अन्वी तुम कल घर आयी और तुमने कुछ बात भी नहीं की इतनी बारिश में तुम तुरंत वहाँ से चली गई बारिश बंद होने तक तो रुक जाती वहाँ पर अन्वी कहती हैं, अगर मैं वहाँ रुक जाती तो तुम्हारा वो जो सिचुएशनशिप के रिश्ते होते हैं वो खराब हो जाते हैं। कल मैं तुमसे मिलने इसे लिए आई थी कि मैं तुमसे प्यार करने लगी थी लेकिन अब मुझे लगा ये सब मेरी गलती।तुम एक के साथ रहने के लायक नहीं हो। सिचुएशन का नाम लेकर तुम्हे तो लड़कियों के साथ रहना है, तुमने मुझे धोखा दिया है। आरव कहता है अभी तुम्हें कुछ गलत।फैमि हुई है। तुम गलत समझ रही हो। मेरे और नेहा के बीच ऐसा कुछ भी नहीं है यार, मैं तो खुद उस पल के बाद तुम्हें नहीं भूल पाया हूँ। तुम्हारे अलावा मैं किसी और के बारे में सोच भी नहीं सकता। अन्वी कहती है, तुम झूठ बोल रहे हो अब तुम्हारी चोरी पकड़ी गयी। पता नहीं एक महीने से कितनी लड़कियों से मिले हो तुम ने सिर्फ मुझे धोखा दिया। अन्वी की बात सुनकर आरव को गुस्सा आ जाता है।आरव कहता है अभी तुम मुझ पर इलज़ाम लगा रही हो, पहले तो ये बताओ मैंने तुम्हें क्या धोखा दिया है? नेहा मेरे बीच कुछ है या नहीं, यह बात की बात है। पहले क्या धोखा किया है उस रात जो हुआ हम दोनों की मर्जी से हुआ। क्या मैंने तुम्हें किसी चीज़ का प्रॉमिस किया था यहाँ?किसी रिलेशनशिप में थे जो मैंने तुम्हें धोखा दिया यार तुम तो हमारे बचपन की दोस्ती खराब कर रही हो। अपनी भावना को कंट्रोल में रखो। फिर किसी दूसरे पर इलज़ाम लगा ये करो ये नहीं तुम्हारे जो मन में आएगा वो तुम बोलती रहोगी। शांत रहकर अपनी बात सोच ना आरव वहाँ से चला जाता है उस दिन के बाद आरव का कभी फ़ोन नहीं आता और न ही मिलने की कोशिश करता है, लेकिन अन्वी को भूल नहीं पाता है। हर पल सोचता है अन्वी उसके सामने आ जाए, लेकिन अन्वी अपने ट्रेनिंग के लिए ऑस्ट्रेलिया चली जाती है फिर भी आरव के बारे में सोचती रहती है। आरव के करीब आने के बाद वो कभी किसी और लड़के के करीब नहीं आ पाई। इसके अंदर कभी वे जज्बात नहीं जगे जो कभी आरव को लेकर थे। अन्वी छह महीने के बाद वापस ऑफिस आc है। इन छह महीने में अन्वी बदल जाती है। अब उसकी जिंदगी में इमोशन पर प्रैक्टिकल सोच की लगाम थी। हर सिचुएशन को वो आसानी से हैंडल कर लेती है।ऑफिस में सबसे पहले उसका मतलब ये आप चाहते हो ना सामना नेहा से होता है नेहा कहती हैं, अन्वी तुम सही समय पर वापिस आये हो। अगले सप्ताह मेरी शादी है और अन्वी कहती है,congratulation और आगे चली जाती है। वो ये भी नहीं पता करती है कि नेहा की शादी किसके साथ हो रही है? उसे लगा आरव और नेहा की शादी हो रही है। आरव के बारे में जानकर अन्वी को दुख तो हुआ लेकिन वे खुद को संभाल लेती हैं लेकिन उन्हें जल्द ही पता लग जाता है कि नेहा की शादी आरव से न होकर किसी और से हो रही है। परंतु अन्वी आरव से बात नहीं करती, लेकिन उसकी नजर आरव को ही ढूंढ रही होती है। अब अन्वी की नजर आरव के केबिन की तरफ जाती है तो मिस्टर गुप्ता कहते हैं, यहाँ नहीं है, वो दिल्ली गया हुआ है, उसे तो पता ही नहीं है। तुम इंडिया आ चुकी हो, वो आज भी तुम्हारा ही इंतज़ार कर रहा है तुम उसके घर जाकर देखोगी तो वो घर उसका कम तुम्हारा ज्यादा लगता है उसने तुम दोनों की बचपन में लेकर तुम्हारी अब तक की फोटो लगा रखी। ऐसा प्यार करने वाला लड़का बहुत कम मिलता है, लेकिन अन्वी भी।को डर था कहीं वो भी नताशा की तरह अपनी इच्छा पूरी करने के लिए सिचुएशन को नाम तो नहीं देता है। नताशा भी तो उस लड़क से प्यार नहीं करती, फिर भी वो उस लड़के के साथ यह सोचकर अन्वी चुप हो जाती है। वह आरव पर भरोसा तो करना चाहती है पर अपने आसपास के माहौल को देखकर भरोसा नहीं कर पाती। लेकिन ये सब बातें वो अपने पापा से नहीं कह सकती। उसके पापा भी आरव और अन्वी की शादी करवाना चाहते हैं। वो एक अच्छा जिम्मेदार लड़का है। लेकिन अन्वी करार के बीच में तो कुछ और ही चल रहा था। अन्वी प्यार और धोखे में कन्फ्यूज हो रही थी। कुछ दिन बाद अन्वी को मेडिकल इमर्जेन्सी आ जाती है। इस मुश्किल समय में वो सबसे पहले आरव को ही फ़ोन करती है। आरव भी तुरंत वहाँ पहुँच जाता है। मिस्टर गुप्ता को ब्रेन स्ट्रोक आया था। उनकी हालत गंभीर होती है। अपने पापा को ऐसे देखकर अन्वी की हालत खराब हो रही थी। लेकिन आरव अन्वी भी को हिम्मत देता है। हम दोनों मिल कर सब संभाल लेंगे। अन्वी अपना सिर आरव के कंधे पर रख देती है। दोनों मुश्किल वक्त से डील करते हैं। दूसरी तरफ मिस्टर गुप्ता के बीमार होने की खबर से उनकी कंपनी के शेयर दिन पर दिन नीचे जा रहे थे और कंपनी को लॉस हो रहा था। अन्वी को अब अपने पापा और ऑफिस को एक साथ हैंडल करना मुश्किल हो रहा था। उसे लगा जैसे सब कुछ उसके हाथ से निकल रहा है, वो इतने तनाव में आ जाती है।वो अपने स्टाफ को बेवजह डांटने लगती है, जिससे स्टाफ के कई लोग काम छोड़कर जाने लगते हैं। आरव अब उन सब लोगों को समझता है और कुछ समय मांगता है, फिर आरव अन्वी को कहता हैं तुम इतना स्ट्रेस क्यों ले रही हो? तुम्हारे ऐसे व्यवहार के कारण कंपनी के कई भरोसेमंद लोग काम छोड़कर जाना चाहते है। मैंने तुमसे पहले भी कहा था हम मिल कर सब संभाल लेंगे, तुम बस सर का ध्यान रखो।अन्वी अपने पापा का ध्यान रखती हैं और आरव अब ऑफिस को पूरी तरह से सम्भालता है। अन्वी ऑफिस आती है तो आरव उसे ऑफिस का पूरा अपडेट देता है। धीरे धीरे मिस्टर गुप्ता की हालत सुधारने लगती है। आरव और अन्वी हॉस्पिटल में मिस्टर गुप्ता का पूरा ख्याल रखते हैं।आरव औरअन्वी की नजदीकियां पहले की तरह बढ़ गयी, जो इन दोनों को साथ में देखता है। वह उन्हें एक कपल ही समझता क्योंकि दोनों की बॉन्डिंग कुछ ऐसी है।मिस्टर गुप्ता अन्वी से कहते हैं अब तुम्हें आरव और अपने रिश्ते पर ध्यान देना चाहिए। उसे अब इंतज़ार मत करवाओ, अब तो हाँ कर दो अन्वी ठीक है फिर भी आप उसे कुछ नहीं कहोगे मैं आप ही उससे बात करूँगी।मिस्टर गुप्ता कहते हैं, ठीक है जैसे तुम्हे ठीक लगे उसी समय डॉक्टर वहाँ आ जाते हैं। वे कहते हैं, मिस्टर गुप्ता, अब आप बिलकुल ठीक हो, कल आपके डिस्चार्ज कर दिया जाएगा। ये सुनकर अन्वी भी खुश हो जाती है। वे ये न्यूज़ आरव को देती हैं, आरव भी यह सुनकर खुश हो जाता है। चलो अच्छी खबर है अब सर को हॉस्पिटल में नहीं रहना होगा। अन्वी, मैं अभी वहाँ आ रही हूँ।आरव जल्द ही हॉस्पिटल पहुँच जाता है। वे लोग कुछ देर तो मिस्टर गुप्ता से बात करते हैं, फिर मिस्टर गुप्ता आराम करने को कहते हैं तो वे दोनों कमरे के बाहर बेंच पर बैठ जाते है। अन्वी भी कुछ थकी हुई लग रही थी तो आरव दोनों के लिए कॉफी ले आता है। अन्वी काफी का घूँट भरते हुए कहती है, तुम अब तक सिंगल क्यों रहे? तुम्हें कोई मिली नहीं, या फिर तुम किसी को अच्छे नहीं लगे, आरव नहीं मुझपर तो आज भी कई लड़कियां मरती है, लेकिन मैं तुमसे प्यार करता हूँ और तुम्हारे साथ कम्फर्ट महसूस करता हूँ। मैं अपनी पूरी जिंदगी तुम्हारे साथ बिताना चाहता हूँ। किसी रिश्ते के बिना एक दूसरे के साथ देते हुए आज की तरह पूरी जिंदगी निकाल सकता हूँ। मैं अपनी आखिरी सांस तक तुम्हारा यहाँ इंतज़ार कर सकता हूँ, लेकिन किसी और के बारे में सोच।भी नहीं सकता। अन्वी कहती है फिर तो तुम्हारा इंतज़ार खत्म हुआ, आरव कहता है कुछ देर शांत रहकर फिर बोलता है तुमने अभी क्या कहा? अन्वी कहती हैं मैं तुमसे शादी करने के लिए तैयार हूँ।प्यार तो मैं तुम से पहले भी करती थी बस भरोसा करने से डरती थी लेकिन अब मुझे तुम पर खुद से भी ज्यादा भरोसा और प्यार है।
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